उत्तर प्रार्थन


श्रीश्रीश्री त्रिदंडि चिन्नश्रीमन्नारायण रामानुज जीयर स्वामीजी की दिव्य वाणी से

श्रीमदभगवदगीता का मूल Download pdf for parayana

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गीताशास्त्र मिदं पुण्यं यः पठेत् प्रयतः पुमान् |
विष्णोः पदमवाप्नोति भयशोकादि वर्जितः ||
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गीताध्ययन शीलस्य प्राणायाम परस्य च |
व संति हि पापानि पूर्वजन्म कृतानि च ||
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मल निर्मोचनं पुंसां जल स्नानं दिने दिने |
सकृद्गीतांभसि स्नानं संसारमलमोचनम् ||
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गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै श्शास्त्र संग्रहैः |
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्नाद्विनिस्सृता ||
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भारतामृत सर्वस्वं विष्णोः वक्त्रा द्विनिस्सृतम् |
गीता गंगोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ||
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सर्वोपनिषदो गावः दोग्धा गोपालनंदनः |
पार्थो वत्सस्सुधी र्भोक्तादुग्धं गीतामृतं महत् ||
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एकं शास्त्रं देवकीपुत्र गीतं
एको देवो देवकीपुत्र एव |
एको मंत्र स्तस्य नामानि यानि
कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा ||
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कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
याऽत्मना वा प्रकृते स्स्वभावात् |
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
శ్రీమన్నారాయణాయేతి సమర్పయామి
         సర్వం శ్రీకృష్ణార్పణమస్తు