राजविद्याराजगुह्ययोगः (श्रीमदभगवदगीता - अध्याय 9 )

श्रीश्रीश्री त्रिदंडि चिन्नश्रीमन्नारायण रामानुज जीयर स्वामीजी की दिव्य वाणी से

श्रीमदभगवदगीता का मूल Download pdf for parayana

श्लोक        1 - 10        11 - 20       21 - 30       31 - 34      
1    Click to Play the sloka       
श्री भगवानुवाच
इदं तु ते गुह्यतमं
प्रवक्ष्या म्यनसूयवे |
ज्ञानं विज्ञान सहितं
यद्‌ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ||
2    Click to Play the sloka       
राजविद्या राजगुह्यं
पवित्र मिद मुत्तमम् |
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं
सुसुखं कर्तु मव्ययम् ||
3    Click to Play the sloka       
अश्रद्दधानाः पुरुषाः
धर्मस्यास्य परन्तप |
अप्राप्य मां निवर्तन्ते
मृत्युसंसारवर्त्मनि ||
4    Click to Play the sloka       
मया ततमिदं सर्वं
जग दव्यक्तमूर्तिना |
मत्स्थानि सर्वभूतानि
न चाहं तेष्ववस्थितः ||
5    Click to Play the sloka       
न च मत्स्थानि भूतानि
पश्य मे योगमैश्वरम् |
भूतभृन्न च भूतस्थः
ममात्मा भूतभावनः ||
6    Click to Play the sloka       
यधाकाशस्थितो नित्यं
वायु स्सर्वत्रगो महान् |
तथा सर्वाणि भूतानि
मत्स्थानी त्युपधारय ||
7    Click to Play the sloka       
सर्वभूतानि कौन्तेय
प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् |
कल्पक्षये, पुनस्तानि
कल्पादौ विसृजाम्यहम् ||
8    Click to Play the sloka       
प्रकृतिं स्वां मवष्टभ्य
विसृजामि पुनः पुनः |
भूतग्राम मिमं कृत्स्नं
अवशं प्रकृते र्वशात् ||
9    Click to Play the sloka       
न च मां तानि कर्माणि
निबध्नन्ति धनञ्जय |
उदासीनव दासीनं
असक्तं तेषु कर्मसु ||
10    Click to Play the sloka       
मयाऽध्यक्षेण प्रकृतिः
सूयते सचराचरम् |
हेतुनाऽनेन कौन्तेय
जगद्धि परिवर्तते ||
श्लोक        1 - 10        11 - 20       21 - 30       31 - 34